बकेंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की घोषणा ने हाल ही में देशभर में लोगों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने टोल टैक्स के नियमों में महत्वपूर्ण संशोधन किया है, जिसके तहत अब निजी वाहन मालिकों को राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर 20 किलोमीटर तक की यात्रा के लिए किसी प्रकार का टोल टैक्स नहीं देना होगा। इस नियम का सीधा लाभ उन लोगों को मिलेगा जो रोजमर्रा के कामकाज के लिए हाईवे या एक्सप्रेसवे का उपयोग करते हैं, खासकर वे लोग जिनके घर टोल प्लाजा के आसपास स्थित हैं। इस घोषणा से टोल टैक्स से जुड़े कई सवाल भी खड़े होते हैं, और यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो देश के परिवहन और अवसंरचना व्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकता है।
टोल टैक्स का महत्व और वर्तमान स्थिति
भारत में सड़क परिवहन का नेटवर्क काफी विस्तृत और जटिल है। देशभर में हजारों किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेसवे फैले हुए हैं, जो देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ते हैं। सरकार इन सड़कों के निर्माण, रखरखाव और विकास के लिए भारी निवेश करती है, जिसका एक बड़ा हिस्सा टोल टैक्स के माध्यम से आता है। टोल टैक्स के जरिए इकट्ठा की गई राशि का उपयोग इन सड़कों की गुणवत्ता सुधारने, नए हाईवे और एक्सप्रेसवे बनाने, और सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में किया जाता है।
लेकिन, कई बार टोल टैक्स को लेकर जनता में असंतोष भी देखा गया है, खासकर उन लोगों में जिन्हें रोजमर्रा की छोटी दूरी की यात्रा के लिए भी टोल देना पड़ता है। टोल प्लाजा के नजदीक रहने वाले लोग अक्सर शिकायत करते थे कि उन्हें कम दूरी की यात्रा पर भी भारी भरकम टोल चुकाना पड़ता है। इस मुद्दे को हल करने के लिए सरकार ने यह नया नियम लागू किया है, जिससे 20 किलोमीटर तक की यात्रा पर कोई टोल नहीं लिया जाएगा।
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नया नियम और जीएनएसएस प्रणाली का उपयोग
इस नई नीति का आधार ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) है, जिसका उपयोग अब टोल संग्रह के लिए किया जाएगा। जीएनएसएस एक ऐसी तकनीक है जो उपग्रहों की मदद से किसी भी वाहन की स्थिति और उसकी यात्रा की दूरी को ट्रैक करती है। इस प्रणाली के माध्यम से यह पता लगाया जा सकेगा कि किसी वाहन ने कितनी दूरी तय की है और उसके आधार पर ही टोल वसूला जाएगा।
जीएनएसएस का इस्तेमाल करके सरकार ने “जितनी दूरी, उतना टोल” की नीति को और आगे बढ़ाया है। यह एक आधुनिक और पारदर्शी प्रणाली है, जिसमें यात्रा की वास्तविक दूरी के आधार पर टोल शुल्क लिया जाएगा। यदि कोई वाहन 20 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करता है, तो केवल उस अतिरिक्त दूरी पर ही टोल लगाया जाएगा। इस प्रणाली के तहत 20 किलोमीटर तक की यात्रा पर शून्य-उपयोगकर्ता शुल्क लागू होगा, जिससे निजी वाहन मालिकों को बड़ी राहत मिलेगी।
जीएनएसएस तकनीक: एक क्रांतिकारी बदलाव
जीएनएसएस आधारित टोल संग्रह प्रणाली को लागू करना एक बड़ा कदम है, जो भविष्य में देश के टोल संग्रह के तरीके को पूरी तरह से बदल सकता है। अभी तक भारत में टोल संग्रह मुख्य रूप से फास्टैग प्रणाली पर आधारित था, जिसमें वाहन चालकों को टोल प्लाजा से गुजरते समय टोल शुल्क चुकाना पड़ता था। लेकिन जीएनएसएस प्रणाली के आने के बाद टोल प्लाजा की आवश्यकता काफी हद तक कम हो सकती है।
जीएनएसएस की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें बिना रुके वाहन अपनी यात्रा कर सकते हैं और उनके द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर टोल स्वतः ही उनके बैंक खातों या ई-वॉलेट से कट जाएगा। इससे टोल प्लाजा पर लगने वाले जाम की समस्या भी खत्म हो जाएगी और यात्रा और भी सुगम हो जाएगी। यह प्रणाली पारदर्शी भी है, क्योंकि इसमें वाहन चालक की यात्रा की सटीक दूरी को रिकॉर्ड किया जाता है और उसी के आधार पर शुल्क लिया जाता है।
टोल टैक्स से मिलने वाले राजस्व का उपयोग
भारत में टोल टैक्स से मिलने वाले राजस्व का उपयोग कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए किया जाता है। इसका सबसे बड़ा हिस्सा सड़कों के रखरखाव, विस्तार, और नई सड़कों के निर्माण में लगाया जाता है। इसके अलावा, टोल राजस्व का एक हिस्सा सड़क सुरक्षा उपायों, ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, और आपातकालीन सेवाओं के लिए भी उपयोग किया जाता है।
हालांकि, कई बार यह देखा गया है कि टोल टैक्स का बोझ आम जनता पर ज्यादा होता है, खासकर उन लोगों पर जो रोजाना कम दूरी की यात्रा करते हैं। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है ताकि लोगों को राहत मिल सके और साथ ही टोल संग्रह प्रणाली को भी अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाया जा सके।
20 किलोमीटर तक टोल फ्री: किसे होगा फायदा?
इस नए नियम से सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को होगा जो टोल प्लाजा के आसपास के क्षेत्रों में रहते हैं और जिन्हें हर दिन काम या अन्य जरूरतों के लिए हाईवे या एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल करना पड़ता है। पहले ऐसे लोगों को भी कम दूरी की यात्रा के लिए टोल देना पड़ता था, जिससे उनका खर्चा बढ़ जाता था। अब नई प्रणाली के तहत उन्हें 20 किलोमीटर तक की यात्रा पर किसी भी प्रकार का टोल नहीं देना पड़ेगा।
यह कदम खासकर शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां लोग अक्सर छोटी दूरी की यात्रा के लिए हाईवे का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, यह नियम उन व्यापारियों और छोटे व्यवसायियों के लिए भी फायदेमंद होगा, जो हर दिन माल और सेवाओं की आपूर्ति के लिए हाईवे का उपयोग करते हैं।
सरकार की लंबी अवधि की योजना
नितिन गडकरी और उनके मंत्रालय ने सड़क परिवहन के क्षेत्र में कई अहम बदलाव किए हैं, जिनका उद्देश्य देश की सड़कों को अधिक सुरक्षित, तेज और सुगम बनाना है। इस नई टोल संग्रह प्रणाली को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जा रहा है, और इसके सफल होने के बाद इसे पूरे देश में लागू करने की योजना है। सरकार की योजना है कि अगले कुछ वर्षों में सभी राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर जीएनएसएस आधारित टोल प्रणाली लागू कर दी जाएगी, जिससे टोल संग्रह की प्रक्रिया को और भी सरल और पारदर्शी बनाया जा सके।
इसके अलावा, सरकार हाईवे और एक्सप्रेसवे के नेटवर्क को भी तेजी से बढ़ा रही है। नई सड़कों का निर्माण और पुरानी सड़कों का सुधार लगातार जारी है, जिससे यात्रा का समय कम हो रहा है और लोग तेजी से अपने गंतव्य तक पहुंच पा रहे हैं। सरकार की योजना के अनुसार, आने वाले वर्षों में देशभर में कई नए एक्सप्रेसवे और फ्रीवे बनाए जाएंगे, जिससे भारत का सड़क परिवहन नेटवर्क और भी मजबूत होगा।
टोल प्रणाली का भविष्य
भारत में टोल प्रणाली का भविष्य अब जीएनएसएस जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर निर्भर है। यह न केवल टोल संग्रह को अधिक सरल और पारदर्शी बनाएगी, बल्कि इससे सरकार को भी यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि किस सड़क पर कितना ट्रैफिक है और कहां सुधार की जरूरत है। जीएनएसएस प्रणाली के माध्यम से सरकार को वास्तविक समय में ट्रैफिक डेटा मिल सकेगा, जिससे सड़कों के रखरखाव और विस्तार की योजना बेहतर तरीके से बनाई जा सकेगी।
इसके अलावा, इस प्रणाली के आने से वाहन चालकों का समय भी बचेगा, क्योंकि अब उन्हें टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह प्रणाली वाहन चालकों के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि अब वे केवल अपनी यात्रा की वास्तविक दूरी के लिए ही भुगतान करेंगे, न कि पूरे टोल प्लाजा के लिए।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय का यह नया फैसला निश्चित रूप से देश के परिवहन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत है। 20 किलोमीटर तक टोल फ्री यात्रा का नियम उन लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जो रोजमर्रा की जिंदगी में हाईवे या एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही, जीएनएसएस आधारित टोल संग्रह प्रणाली देश के टोल संग्रह के तरीके को पूरी तरह से बदल सकती है, जिससे यह और भी पारदर्शी, सरल और प्रभावी हो जाएगा।
यह कदम न केवल आम जनता को राहत देगा, बल्कि सरकार को भी सड़कों के रखरखाव और विकास के लिए आवश्यक राजस्व प्राप्त करने में मदद करेगा। आने वाले वर्षों में, इस नई प्रणाली के व्यापक स्तर पर लागू होने के बाद देशभर में सड़क परिवहन और भी सुगम, सुरक्षित और तेज हो जाएगा।