आज हम जिस तेजी से तरक्की कर रहे हैं, उसका एक बड़ा दुष्परिणाम ये भी है कि प्रदूषण एक विकराल समस्या बनता जा रहा है. इस जहरीली हवा को साफ करने के लिए हमें हर संभव कोशिश करनी होगी. तभी तो वैकल्पिक ईंधन की खोज पर इतना जोर दिया जा रहा है.
इसी सिलसिले में फ्लेक्स-फ्यूल वाहन (Flex-Fuel Vehicles) एक नई उम्मीद बनकर सामने आए हैं. ये वाहन न सिर्फ प्रदूषण कम करते हैं बल्कि ये हमें ईंधन के मामले में भी आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं.
तो चलिए, विस्तार से जानते हैं कि आखिर ये फ्लेक्स-फ्यूल वाहन हैं क्या और कैसे ये हमारे लिए फायदेमंद हो सकते हैं?
काम करने का तरीका
अगर आप सोच रहे हैं कि ये फ्लेक्स-फ्यूल वाहन कोई नई टेक्नोलॉजी है, तो बता दें कि नहीं! ये दरअसल ऐसे वाहन होते हैं जिन्हें खास बनाया जाता है ताकि वो 100% पेट्रोल या फिर 100% बायो-इथेनॉल या इन दोनों के मिश्रण पर चल सकें.
तो आखिर ये कैसे पता लगा पाते हैं कि गाड़ी में कौन सा ईंधन भरा हुआ है और किसके अनुसार काम करना है?
इस काम के लिए गाड़ी में एक खास सेंसर लगा होता है. ये सेंसर ईंधन टैंक में जाकर ये पता लगाता है कि पेट्रोल की मात्रा ज्यादा है या इथेनॉल की. इस जानकारी को वो इंजन कंट्रोल मॉड्यूल (ECM) तक पहुंचाता है.
ECM को ये जानकारी मिलने के बाद वो इंजन के विभिन्न पार्ट्स, जैसे कि फ्यूल पंप और फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम को इस तरह से एडजस्ट कर देता है कि गाड़ी में भरे ईंधन के मिश्रण के हिसाब से सबसे अच्छा परफॉर्मेंस मिले.
इस खासियत की वजह से ही इन वाहनों को फ्लेक्स-फ्यूल वाहन कहा जाता है. ये ईंधन के मामले में काफी लचीलापन (flexibility) देते हैं.
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फ्लेक्स-फ्यूल वाहन के फायदे
कम प्रदूषण: फ्लेक्स-फ्यूल वाहन, खासकर जब वो इथेनॉल या इथेनॉल के मिश्रण पर चलते हैं, तो पेट्रोल या डीजल गाड़ियों की तुलना में काफी कम प्रदूषण करते हैं. इससे पर्यावरण को साफ रखने में मदद मिलती है.
नवीकरणीय ईंधन: बायो-इथेनॉल एक नवीकरणीय ईंधन है जिसे गन्ने और अन्य कृषि उत्पादों से बनाया जा सकता है. इसका मतलब है कि पेट्रोल या डीजल जैसे जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम हो जाएगी.
ईंधन सुरक्षा: फ्लेक्स-फ्यूल वाहन विदेशी तेल पर निर्भरता कम करते हैं, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होती है.
इंजन कार्यक्षमता: कुछ अध्ययनों से ये भी पता चला है कि फ्लेक्स-फ्यूल इंजन, सही परिस्थिति में, पेट्रोल इंजन की तुलना में ज्यादा कार्यक्षम हो सकते हैं.
कुछ कमियां भी हैं
हालांकि फ्लेक्स-फ्यूल वाहन काफी फायदेमंद लगते हैं, लेकिन अभी कुछ चुनौतियां भी हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है.
उच्च लागत: फ्लेक्स-फ्यूल वाहन अभी बाजार में मौजूद पेट्रोल या डीजल गाड़ियों की तुलना में थोड़े महंगे हो सकते हैं.
कम ईंधन उपलब्धता: फिलहाल, भारत में अभी तक बायो-इथेनॉल आसानी से हर जगह नहीं मिलता है. ऐसे में सिर्फ फ्लेक्स-फ्यूल वाहन पर निर्भर रहना मुश्किल हो सकता है.
अधिक रखरखाव: कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, फ्लेक्स-फ्यूल इंजन को पारंपरिक पेट्रोल इंजन की तुलना में थोड़ा ज्यादा रखरखाव की जरूरत पड़ सकती है.
भविष्य की राह
हालांकि चुनौतियां हैं, लेकिन फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों को भविष्य का एक अच्छा विकल्प माना जाता है. जैसे-जैसे बायो-इथेनॉल का उत्पादन और बुनियादी ढांचा मजबूत होगा, वैसे-वैसे फ्लेक्स-फ्यूल वाहन ज्यादा किफायती और फायदेमंद हो सकते हैं.
आपको क्या लगता है? क्या फ्लेक्स-फ्यूल वाहन भारत के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं?