वास्तु शास्त्र का महत्व किसी भी घर की डिजाइन और निर्माण में अत्यधिक होता है। यदि आप वास्तु में विश्वास करते हैं और नया घर खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि आप घर के प्रत्येक हिस्से को सही दिशा और डिजाइन के अनुसार बनाएं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में पॉजिटिव एनर्जी और सुख-शांति लाने के लिए सही रंग, फॉर्मेट, आकार और दिशाओं का चयन करना जरूरी है। यहां कुछ महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स दिए गए हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपने नए घर को खुशहाल और सकारात्मक बना सकते हैं।
1. कमरे का आकार और दिशा
नए घर के वास्तु में सबसे पहली बात कमरे के आकार की है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का आकार हमेशा वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए। किसी भी अनियमित आकार के घर से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो सकता है, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है।
कमरे की दिशा भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। सुनिश्चित करें कि कमरे में पर्याप्त रोशनी और हवा का प्रवाह हो। कमरे का डिजाइन इस प्रकार से हो कि वह साफ-सुथरा और हवादार रहे। इसके अतिरिक्त, भारी फर्नीचर जैसे बेड और अलमारी को हमेशा दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। सीढ़ियों की दिशा भी वास्तु के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा में होनी चाहिए, ताकि घर में शांति और संतुलन बना रहे।
2. पानी और पौधे
वास्तु शास्त्र में पानी के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पानी की पेंटिंग, फव्वारा, या मछलीघर जैसे तत्व घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने में मदद करते हैं। ये तत्व न केवल दृश्य सौंदर्य को बढ़ाते हैं, बल्कि मानसिक शांति और समृद्धि भी प्रदान करते हैं।
घर के विभिन्न हिस्सों में पौधे भी सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं। तुलसी का पौधा विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। जेड प्लांट और लकी बैंबू भी घर में शुभता और समृद्धि लाने में मदद करते हैं।
3. प्रवेश द्वार की दिशा
मुख्य द्वार घर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है क्योंकि यही ऊर्जा का प्रवेश बिंदु होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का मुख्य द्वार उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। ऐसा सुनिश्चित करें कि जब आप घर में प्रवेश करें, तो आपका मुख इन दिशाओं की ओर हो।
प्रवेश द्वार का डिज़ाइन भी महत्वपूर्ण होता है। बेहतर गुणवत्ता की लकड़ी का उपयोग करें और दरवाजे के बाहर फव्वारा या पानी की सजावट से बचें। मुख्य दरवाजे के पास शू रैक या कूड़ेदान न रखें और न ही बाथरूम बनाएँ। दरवाज़ा काले रंग से नहीं रंगना चाहिए और इसे अच्छी रोशनी से सजाना चाहिए। नेमप्लेट और तोरण दरवाजे पर लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
4. डाइनिंग हॉल
डाइनिंग एरिया का स्थान भी वास्तु के अनुसार महत्वपूर्ण होता है। इसे हमेशा पश्चिम दिशा में बनवाना चाहिए, लेकिन यदि यह संभव नहीं हो तो उत्तर, पूर्व या दक्षिण दिशा भी उपयुक्त हो सकती है। दक्षिण-पश्चिम दिशा से बचने का प्रयास करें क्योंकि यह डाइनिंग एरिया के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है।
5. सीढ़ियों की दिशा
घर की सीढ़ियों का सही स्थान भी वास्तु के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। यह दिशा घर में शांति और सद्भाव बनाए रखने में मदद करती है। उत्तर-पूर्व दिशा में सीढ़ियाँ बनाने से बचें क्योंकि यह दिशा वास्तु दोष का कारण बन सकती है।
6. लिविंग रूम
लिविंग रूम घर का सबसे प्रमुख हिस्सा होता है और यह मेहमानों पर पहली छाप छोड़ता है। यह सुनिश्चित करें कि लिविंग रूम की दिशा पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व हो। फर्नीचर को पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखें। इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य उपकरणों को लिविंग रूम की दक्षिण-पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। शीशा उत्तर की दीवार पर लगाना सही होता है।
7. बेडरूम
अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए बेडरूम को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। बेड हमेशा कमरे के दक्षिण-पश्चिम कोने में होना चाहिए और इसका सिर पश्चिम की ओर हो। बेडरूम की दीवारें न्यूट्रल या हल्के रंगों से रंगनी चाहिए। बेडरूम में शीशा, टेलीविजन, या पानी की पेंटिंग से बचना चाहिए।
8. रसोई
रसोईघर को दक्षिण-पूर्व दिशा में बनवाना चाहिए। यह दिशा अग्नि के तत्व के लिए उपयुक्त मानी जाती है। रसोई के उपकरण भी दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें। उत्तर, उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा से बचना चाहिए।
9. बच्चों का कमरा
बच्चों का कमरा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए और बच्चों को दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए। इससे उनके मन में शांति और सौभाग्य बढ़ता है।
10. मेडिटेशन रूम
मेडिटेशन रूम को घर के पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में बनाना चाहिए। ध्यान करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। कमरे का रंग हल्का पीला, सफेद या हल्का हरा होना चाहिए और इसे मोमबत्तियों और अगरबत्तियों से सजाना चाहिए।
11. बाथरूम और शौचालय
बाथरूम और शौचालय का सही स्थान घर की वास्तु व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इसके लिए सबसे उपयुक्त स्थान उत्तर-पश्चिम दिशा मानी जाती है। यह दिशा नकारात्मक ऊर्जा को कम करने और घर में सकारात्मकता बनाए रखने में सहायक होती है। इसके विपरीत, दक्षिण-पश्चिम दिशा से बचना चाहिए क्योंकि यह दिशा नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न कर सकती है, जो घर के वातावरण को प्रभावित कर सकता है। बाथरूम की खिड़कियों के लिए पश्चिम, पूर्व या उत्तर दिशा सबसे आदर्श होती है, क्योंकि ये दिशाएं प्राकृतिक रोशनी और वेंटिलेशन को बेहतर बनाती हैं, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है। इसके अतिरिक्त, शौचालय का प्रवेश द्वार उत्तरी या पूर्वी दीवार के साथ होना चाहिए, जो ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित रखने और घर के अन्य हिस्सों में सकारात्मकता बनाए रखने में सहायक होता है। इन सरल लेकिन महत्वपूर्ण वास्तु नियमों का पालन करके, आप अपने घर के बाथरूम और शौचालय को सही दिशा में रख सकते हैं, जिससे पूरे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहेगी।
12. कमरों का आकार
कमरों का आकार सीधी रेखाओं में होना चाहिए और चौकोर या आयताकार होना चाहिए। गोलाकार फर्नीचर या कमरे से बचें क्योंकि ये वास्तु के अनुसार अनुपयुक्त होते हैं।
13. वेंटिलेशन और रोशनी
सभी कमरों में उचित वेंटिलेशन और नियमित धूप का प्रवाह आवश्यक है। यह ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाता है और सकारात्मकता को बढ़ावा देता है।
14. रंगों का चयन
रंगों का चयन वास्तु शास्त्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह घर के माहौल और ऊर्जा पर सीधा प्रभाव डालता है। लिविंग रूम के लिए वास्तु के अनुसार, सफेद, पीला, नीला या हरा रंग आदर्श होते हैं। ये रंग कमरे को हल्का और प्रफुल्लित बनाने में मदद करते हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और वातावरण में शांति बनी रहती है। रसोईघर के लिए, पीला, नारंगी, लाल या केसरिया रंग चुने जा सकते हैं। ये रंग अग्नि तत्व को प्रबल करते हैं और भोजन बनाने के अनुभव को ऊर्जा और उत्साह से भरपूर बनाते हैं। पूजा घर के लिए हल्के नीले, सफेद या हल्के हरे रंग उपयुक्त माने जाते हैं, क्योंकि ये रंग शांति और पवित्रता को प्रकट करते हैं, जिससे ध्यान और पूजा के लिए एक शांतिपूर्ण वातावरण तैयार होता है। मास्टर बेडरूम के लिए हल्के गुलाबी या लाल रंग अत्यंत लाभकारी होते हैं, क्योंकि ये रंग प्रेम और स्नेह को दर्शाते हैं, जिससे जोड़े के बीच का रिश्ता मजबूत और मधुर बनता है। इस प्रकार, विभिन्न कमरों के लिए उपयुक्त रंगों का चयन करके आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन को बनाए रख सकते हैं।
15. नेगेटिविटी और पौधे
घर में नेगेटिव एनर्जी लाने वाली चीजों से बचना चाहिए, जैसे टूटी हुई वस्तुएं, नेगेटिव आर्टवर्क, सूखे फूल और टैक्सिडर्मिड जानवर। इसके बजाय, तुलसी, जेड प्लांट और लकी बैंबू जैसे पौधे लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
Read More: High Cholesterol के संकेत हो सकते हैं पैर दर्द और खड़े रहने में परेशानी, जाने क्या है समाधान
इन वास्तु टिप्स को अपनाकर आप अपने नए घर को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बना सकते हैं और सुख-शांति का अनुभव कर सकते हैं। वास्तु शास्त्र में सही दिशा और डिजाइन का पालन करना आपके घर के सुखद और सुखदायक माहौल को सुनिश्चित करता है।