भारत एक ऐसा देश है जिसने सदियों से शिक्षा को सर्वोच्च स्थान दिया है। हमारे धर्मग्रंथों से लेकर महान विचारकों के उपदेशों तक, शिक्षा को हमेशा ज्ञान प्राप्ति और जीवन में सफलता का मार्ग माना गया है। मगर आजादी के बाद के वर्षों में, यह स्पष्ट हो गया कि समान शिक्षा का अभाव सामाजिक और आर्थिक असमानता को और बढ़ावा दे रहा है। गरीब और वंचित समुदायों के बच्चों के लिए, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच एक दूर का सपना बनकर रह गई थी।
इसी चुनौती का सामना करने के लिए, भारत सरकार ने कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरुआत की है। इन योजनाओं का लक्ष्य न केवल गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करना है, बल्कि उन्हें स्कूल प्रणाली में लाना और उन्हें अपनी क्षमता का पूरा एहसास दिलाने में मदद करना भी है। आइए, कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण योजनाओं पर गौर करें:
1. सर्व शिक्षा अभियान (SSA)
2001 में शुरू हुआ सर्व शिक्षा अभियान एक मील का पत्थर साबित हुआ। इसका उद्देश्य 6 से 14 साल के आयु वर्ग के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है। यह अभियान राज्य सरकारों के साथ मिलकर चलाया जाता है, ताकि पूरे देश में प्राथमिक शिक्षा का दायरा व्यापक किया जा सके। अभियान के तहत स्कूलों के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है, शिक्षकों की भर्ती की गई है और मुफ्त पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री का वितरण किया जाता है। सर्व शिक्षा अभियान का लक्ष्य न केवल नामांकन बढ़ाना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि बच्चे स्कूल पूरा करें।
2. नेशनल प्रोग्राम फॉर एजुकेशन ऑफ गर्ल्स ऐट एलीमेंट्री एजुकेशन (NPEGEL)
2003 में शुरू की गई एनपीईजीईएल योजना का लक्ष्य उन लड़कियों को शिक्षा प्रदान करना है, जो सामाजिक और भौगोलिक बाधाओं के कारण स्कूल नहीं जा पातीं। यह योजना खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और आदिवासी समुदायों में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देती है। एनपीईजीईएल के तहत स्कूलों तक पहुंच आसान बनाने के लिए छात्रावासों की सुविधा दी जाती है, स्कूल ड्रेस और पाठ्यपुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं, साथ ही लड़कियों की शिक्षा के महत्व के बारे में माता-पिता को जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाए जाते हैं।
3. मिडडे मील स्कीम
मिडडे मील स्कीम शायद भारत सरकार की सबसे सफल सामाजिक कल्याण योजनाओं में से एक है। इस योजना के तहत सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को हर दिन निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है। मिडडे मील स्कीम का दोहरा लाभ होता है। पहला, इससे गरीब परिवारों के बच्चों को पौष्टिक भोजन मिलता है, जो उनकी शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होता है। दूसरा, यह गरीब बच्चों के लिए स्कूल आने का एक प्रोत्साहन के रूप में काम करता है, जिससे स्कूलों में उपस्थिति में वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, मिडडे मील स्कीम के तहत महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से रोजगार भी दिया जाता है, जिससे महिला सशक्तीकरण को भी बढ़ावा मिलता है।
4. राइट टु एजुकेशन एक्ट (RTE Act)
2009 में लागू हुआ राइट टु एजुकेशन एक्ट एक ऐतिहासिक कदम था। इस अधिनियम के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को शिक्षा का मौलिक अधिकार दिया गया है। इसका मतलब यह है कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि हर बच्चे को, चाहे उसकी आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो, निःशुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। इसके अलावा, इस अधिनियम के तहत निजी स्कूलों को भी अपनी सीटों के 25% गरीब और वंचित समुदायों के बच्चों के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है।
5. नेशनल स्कीम ऑफ इन्सेंटिव टु गर्ल्स फॉर सेकंडरी एजुकेशन (NSIGSE)
2008 में शुरू की गई एनएसआईजीएसई योजना का लक्ष्य खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत माध्यमिक शिक्षा पूरी करने वाली लड़कियों को 3000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यह वित्तीय सहायता न केवल लड़कियों को शिक्षा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करती है, बल्कि उनके परिवारों को भी आर्थिक रूप से मदद करती है।
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ये भारत सरकार की कुछ प्रमुख योजनाएं हैं जो मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देती हैं। इन योजनाओं के सफल कार्यान्वयन से यह सुनिश्चित होगा कि हर बच्चे को अपनी प्रतिभा को निखारने और अपने सपनों को पूरा करने का अवसर मिले।